संस्कृत व्याकरण को *माहेश्वर शास्त्र* कहा जाता है।
👉 माहेश्वर का अर्थ है-- *शिव जी*
👉 माहेश्वर सूत्र की संख्या --- *14*
👉 संस्कृत में वर्ण दो प्रकार के होते है---1= *स्वर*
2= *व्यञ्जन*।
🌸👉 *संस्कृत में स्वर*--: ( *अच्*)तीन प्रकार के होते है-----:
1=■ *ह्रस्व स्वर* ( पाँच)--- इसमें एक मात्रा का समय लगता है। *अ , इ , उ , ऋ , लृ*
2=■ *दीर्घ स्वर* (आठ)---: इसमें दो मात्रा ईआ समय लगता है। आ , ई , ऊ , ऋ , ए ,ऐ ,ओ , औ
3= ■ *प्लुत स्वर* --: इसमे तीन मात्रा का समय लगता है।
जैसे--- *हे राम३*
*ओ३म* ।
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🌸👉 *सस्कृत में व्यञ्जन* (हल् ) ----:
व्यञ्जन चार प्रकार के होते है----
1= 👉स्पर्श व्यञ्जन --: *क से म तक* = 25 वर्ण
2= 👉अन्तःस्थ व्यञ्जन ---: *य , र , ल , व*= 4 वर्ण
3= 👉 ऊष्म व्यञ्जन --: *श , ष , स , ह* = 4 वर्ण
4= 👉 संयुक्त व्यञ्जन --: *क्ष , त्र , ज्ञ* = 3 वर्ण
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🌸 *प्रत्याहारों की संख्या* = 42
● *अक् प्रत्याहार*---: अ इ उ ऋ लृ ।
● *अच् प्रत्याहार* ---:अ इ उ ऋ लृ ए ओ ऐ औ ।
● *अट् प्रत्याहार* ---: अ इ उ ऋ लृ ए ओ ऐ औ ह् य् व् र् ।
● *अण् प्रत्याहार* ---: अ इ उ ऋ लृ ए ओ ऐ औ ह् य् व् र् ल् ।
● *इक् प्रत्याहार*----: इ उ ऋ लृ ।
● *इच् प्रत्याहार*----: इ उ ऋ लृ ए ओ ऐ औ ।
● *इण् प्रत्याहार*-----: इ उ ऋ लृ ए ओ ऐ औ ह् य् व् र् ल् ।
● *उक् प्रत्याहार* ----: उ ऋ लृ ।
● *एड़् प्रत्याहार* ----: ए ओ ।
● *एच् प्रत्याहार*----- : ए ओ ऐ औ ।
● *ऐच् प्रत्याहार* ----- ऐ औ ।
● *जश् प्रत्याहार* --- : ज् ब् ग् ड् द् ।
● *यण् प्रत्याहार* ---': य् व् र् ल् ।
● *शर् प्रत्याहार*-----: श् ष् स् ।
● *शल् प्रत्याहार* ---- : श् ष् स् ह् ।
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🌸 *प्रयत्न*---:
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👉 " *वर्णों के उच्चारण करने की चेष्टा को ' प्रयत्न ' कहते है।*
👉 प्रयत्न *दो प्रकार* के होते है---:
1= आभ्यान्तर प्रयत्न
2= बाह्य प्रयत्न
■ *आभ्यान्तर प्रयत्न*----:
आभ्यान्तर प्रयत्न *पाँच प्रकार* के होते है----:
☆ *1*= स्पृष्ट ( *स्पर्श*)-----: *क से म तक के वर्ण ।*
☆ *2*= ईषत् -- स्पृष्ट -----: *य ,र , ल , व ।*
☆ *3*= ईषत् -- विवृत ------: *श , ष , स , ह ।*
☆ *4*= विवृत ----:
*अ इ उ ऋ लृ ए ओ ऐ औ ।*
☆ *संवृत----:
" *इसमें वायु का मार्ग बन्द रहता है । प्रयोग करने में ह्रस्व " अ " का प्रयत्न संवृत होता है किन्तु शास्त्रीय प्रक्रिया में " अ " का प्रयत्न विवृत होता है।*
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🌸 *बाह्य प्रयत्न* ------:
👉 उच्चारण की उस चेष्टा को " बाह्य प्रयत्न " कहते है ; जो मुख से वर्ण निकलते समय होती है।
👉 *बाह्य प्रयत्न -- 11 प्रकार के होते है।*
(1=विवार 2= संवार 3= श्वास 4= नाद 5= घोष 6=:अघोष 7= अल्पप्राण 8= महाप्राण 9= उदात्त 10= अनुदात्त 11= त्वरित )
📖 विषय --- संस्कृत 📖
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*सन्धि* ----
सन्धि का अर्थ है -- जोड़ अथवा मेल । दो शब्दों के मिलने से जो वर्ण संबन्धी परिवर्तन होता है, उसे *सन्धि* कहते है।
👉 *सन्धि के प्रकार* ----:
सन्धि तीन प्रकार के होते है---
1= स्वर सन्धि
2= व्यञ्जन सन्धि
3= विसर्ग सन्धि
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🌸 *स्वर सन्धि-*----:
" जब पहले शब्द का अन्तिम स्वर दूसरे शब्द के आदि ( पहले) स्वर से मिलता है , तो इसे *स्वर सन्धि* कहते है।
जैसे--- *विद्या + आलय = विद्यालय*
(आ + आ = *आ*)
👉 स्वर सन्धि के * *पाँच भेद* है----
1= दीर्घ सन्धि ( *अकः सवर्णे दीर्घः* )
2= गुण सन्धि ( *आदगुणः* )
3= वृद्धि सन्धि ( *वृद्धिरेचि* )
4= यण् सन्धि ( *इकोयणचि* )
5= अयादि सन्धि ( *एचोयवायावः* )
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🌸१= दीर्घ सन्धि --( *अकः सवर्णे दीर्घः*)
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👉 *पहचान* ---: ☆ इस सन्धि के पहले पद का अन्तिम वर्ण तथा दूसरे पद का आदि वर्ण दोनो ही स्वर होते है।
👉☆ दोनो के योग से आ , ई , ऊ , ऋ की मात्रा बीच में बनती है तो दीर्घ सन्धि होता है
👉 *उदाहरण*---:
● विद्या + आलयः = विद्यालयः
*आ + आ = 'आ '*
●कवि + ईशः = कवीशः
*इ + ई = ई*
● लघु + ऊर्मिः = लघूर्मिः
*उ + ऊ = ऊ*
● पितृ + ऋणम् = पितृणम्
*ऋ + ऋ = ऋ*
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🌸 २= गुण सन्धि ( *आदगुणः* )
👉 पहचान -----:☆ इस सन्धि में विच्छेद करने पर पहले पद का अन्तिम वर्ण तथा दूसरे पद का आदि वर्ण दोनो ही स्वर होते है।
👉 ☆ दोनों के योग से *ए ओ अर्* की मात्रा बीच मे बनती है जिससे गुण सन्धि होता है।
🌸 *उदाहरण---*
● देव + इन्द्रः = देवेन्द्रः
*अ + इ = ए*
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