अगस्त 29, 2016

सिपाही को सीधे दारोगा बनने का मिलेगा मौका, लिखित परीक्षा द्वारा दारोगा और इंस्पेक्टर के एक तिहाई पद भरे जाने की बन रही योजना

राज्य ब्यूरो,लखनऊ : पुलिस महकमे में विभागीय लिखित परीक्षा द्वारा दारोगा और इंस्पेक्टर के एक तिहाई पद भरे जाने की योजना बन रही है। डीजीपी मुख्यालय से शासन को यह प्रस्ताव भेजा गया है।

अगर यह व्यवस्था लागू हुई तो विभागीय परीक्षा पास कर सिपाही सीधे दारोगा पद पर प्रोन्नत हो जाएंगे। अभी सिर्फ मुख्य आरक्षी को वरिष्ठता के आधार पर दारोगा पद पर प्रोन्नत होने की व्यवस्था है।

उत्तर प्रदेश पुलिस बल की विभिन्न शाखाओं के लिए वर्ष 2008 में निर्धारित मानक को शिथिल करते हुए पद बढ़ाये गए। इसमें सिविल पुलिस के इंस्पेक्टर के 2634 पद के सापेक्ष पांच हजार और उपनिरीक्षक (दारोगा) के 18996 पद के सापेक्ष 40 हजार पद स्वीकृत किये गए।

तय हुआ कि इंस्पेक्टर के सभी पद वरिष्ठता और उपनिरीक्षक के 50 फीसद पद वरिष्ठता और 50 फीसद पद सीधी भर्ती से भरे जाएंगे। डीजीपी मुख्यालय से अब जो प्रस्ताव भेजा गया है उसमें इंस्पेक्टर के 3333 पद वरिष्ठता और 1666 पद विभागीय परीक्षा से भरे जाने हैं।

नये प्रस्ताव में दारोगा के 20 हजार पद सीधी भर्ती से, 13333 पद ज्येष्ठता और 6666 पद विभागीय लिखित परीक्षा के जरिए भरे जाने हैं। इस परीक्षा में सिपाही को भी बैठने का अवसर मिलेगा।

कोई भी भर्ती एक बार नहीं होगी। दो तिहाई पद ज्येष्ठता और एक तिहाई पद विभागीय परीक्षा से भरे जाने की प्रक्रिया साथ-साथ चलेगी। ताकि सबको अवसर मिल सके।

दारोगा को हक मारे जाने का अंदेशा :
दारोगा से इंस्पेक्टर पद पर विभागीय परीक्षा के जरिए प्रोन्नति का प्रस्ताव उपनिरीक्षकों को रास नहीं आया है। मुख्यमंत्री को पत्र भेजकर मांग की है कि पदोन्नति ज्येष्ठता के आधार पर ही की जाए।

उपनिरीक्षकों में विभागीय लिखित परीक्षा को लेकर आक्रोश है। इससे उन्हें अपना हक मारे जाने की आशंका सता रही है। दरअसल, डीजीपी के प्रस्ताव में यह दर्शाया गया है कि नई व्यवस्था लागू होने से कम उम्र के लोगों को अवसर मिलेगा तो वह लंबे समय तक विभाग की सेवा कर सकेंगे।

उपनिरीक्षकों का कहना है कि पूर्व में काफी समय से पदोन्नति न होने से एक बैकलाग बन गया था लेकिन 2013 से लगातार पदोन्नति होने से अधिक उम्र के दारोगा अब इंस्पेक्टर बन गये हैं। मौजूदा समय में ज्यादातर युवा दारोगा 1998 बैच के बाद के ही उपलब्ध हैं। इनकी औसत सेवा 15 से 20 वर्ष या और अधिक बची है।

नहीं मारा जाएगा किसी का हक :
पहले दारोगा और इंस्पेक्टर के पद कम थे। अब पदों की संख्या में दूने की वृद्धि होने से पर्याप्त पद हैं और इससे किसी का हक नहीं मारा जाएगा। सबको पर्याप्त अवसर मिलेगा।

काफी पढ़े-लिखे लड़के हाल की भर्तियों में सिपाही बने हैं। प्रस्ताव यह सोचकर भेजा गया कि प्रतिभावान पुलिसकर्मियों के विकास के लिए कोई ऐसा रास्ता होना चाहिए जिसमें उन्हें कम से कम समय में मौका मिले। 1सैयद जावीद अहमद, डीजीपी, उत्तर प्रदेश

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